संत के चमत्कार
बाबा के मढ़ में बजाया जाने वाला मृदंग मढ़ने के लिए किसी अन्य गाँव के चमार (मोची) को दिया था। वह मृदंग चमार का पसंद आ गया, क्योंकि वह बहुत ही अच्छा बजता था। उसकी नियत खराब हो गई। उसने मृदंग मदने के बाद उसी डिजाइन का दूसरा मृदंग उसके पास वाला मढ़कर दे दिया और बाबा वाला मृदंग मढ़कर अपने पास रख लिया। यह बात बाबा की भजन मण्डली को भी पता न चली। रोज बाबा के मढ़ में भजन गाने के बाद बारह बजे रात को आरती करते हैं। उस दिन रात में जब आरती होने लगी, तब चमार के घर खुंटी पर टँगा मृदंग जोर-जोर से बजने लगा और चमार खटिया पर से ऐसे नीचे गिरा जैसे किसी ने उठाकर फेंका हो । पूरे परिवार के लोग जाग गये और आश्चर्य से देखने लगे। खुंटी में टँगा मृदंग अपने आप बज रहा हैं और कोई भी दिखाई नहीं दे रहा हैं। दोनो पति-पत्नी घबराये, बाबा के हाथ जोड़े, खुब मान मनुहार की, तब कहीं जाकर मृदंग बजना बंद हुआ। उतनी रात को चमार हाथ 2 में मृदंग उठाये, बाबा का नाम लेता हुआ, पैदल-पैदल चलता हआ, सबेरे-सबेरे नागझिरा पहँचा । बाबा की समाधी पर जाकर खुब गिड़गिड़ाया। क्षमा प्रार्थना की। फिर भजन गाने वाला 7 मंडली से भी क्षमा माँगी तथा बाबा वाला मृदंग दे कर, उसका मृदंग वापस ले गया। जब तक जीवित रहा बाबा के मृदंग की मड़ाई के पैसे नही लिए और मृदंग मड़ता रहा। आज भाव मृदंग बाबा के मढ़ में रखा हुआ हैं।
* जय संत बोंदरु बाबा *
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