संत बोंदरु बाबा की संतान प्रसादी | Sant Bondaru Baba Ki Santan Prasadi | Bondaru Baba Nagziri

 संत बोंदरु बाबा की संतान प्रसादी

संतान की कामना करने वाले परिवार को, बाबा के मेले से आठ-पन्द्रह दिन । प्रसादी के लिए, महिला एवं उसके पति का नाम मंहत के पास लिखवाना होता है। और अपना नाम नहीं लिखा पाये और मेले में आगये तथा प्रसादी (संतान प्राप्ति हेतु) लेना है तो नाम लिखवाने वाली महिलओं के अन्त में प्रसादी (कैरियाँ) बचने पर दी जा सकती है। वैसे बचने पर तो एक-दो दिन बाद तक (जब तक मढ़ काखम्भ नहीं निकाला जाता तब तक जा सकती है। नाम लिखवाने की सुविधा के लिए मेले के दिन तक यह कार्य होता है, मेले के पर्ने जो बांटे जाते है उनमें मोबाईल नम्बर छपे रहते है। किसी नम्बर पर भी कॉल करके घर बोला लिखवा सकते है। वैसे गाँव के लोग भी आपकी सहायता हेतु तत्पर रहते है। गाँव (नागटिस के किसी का भी नम्बर आपको मालुम हो तो उस पर सूचना देकर नाम लिखवा सकते है। आपकी सुविधा के लिए निम्न मोबाईल नम्बरों पर कॉल करके सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है। 

मो. नं. 97541-05029, 97532-09970 

मेले के दिन दोपहर एक बजे जब बाबा के निशान चढ़ा दिए जाते है, संतान फल बांटना - शुरु हो जाते है। नि:संतान माताओं को पाँच-पाँच, सात-सात के ग्रुप में बाबा के ओटले पर बैठाकर, बाबा का पूजन आदि करवाकर फल खाने को दिया जाता है (वहीं बैठकर खिलाया • जाता है।) जब तक संतान पैदा नहीं हो, तब तक पुजारी द्वारा बताए गये परहेज चलाना जरुरी - है। परहेज उदाहरण तौर पर माँस, मछली, शराब एवं भट्टे (बैंगन) नहीं खाना, मृत्यु भोज नहीं खाना (जाने में कोई आपत्ती नहीं हैं), शादी-ब्याह में हरे मंडप में से नहीं निकलना। वैसे निःसंतान, जिसने प्रसादी पाली है उसको एक पर्चा परहेज का दिया जाता है। परहेज पाले, बाबा पर श्रद्धा रखे, अवश्य संतान होगी। हर वर्ष सैकड़ों माताएँ मन्नत उतारने आती है और बाबा का गुणगान करती है। मन्नत उतारने वालों की संख्या को देखकर आपको भी अपने मनमें विश्वास एवं श्रद्धा उत्पन्न होगी ही। कोई बे वजह थोड़े ही इसको “संतान मेला" कहने लगे हैं। यहाँ बाहर से आये हुए परिवारों, जिनके गाँव में जान-पहचान वाले या रिश्तेदार नहाह, उनके ठहरने एवं रात्री विश्राम, भोजन आदि की व्यवस्था"बोंदरु बाबा आरती सेवा समिति द्वारा निःशुल्क किया जाता है। इस कार्य में “ग्राम पंचायत, नागझिरी' भी मदद करता है । अगर कोई मामूली सा पहिचान वाला भी इस गाँव में है तो आपको ठहराने से इंकार नहीं करता। 

* जय संत बोंदरु बाबा *

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