सबको पालन हार हरि
सब जीव छे एक समान हो, सबको पालन हार हरि ।। टेक ।।
काश्तकार एक तिरथ गयो, संत रखावे खेत हो।
चिड़िया चुग चुग खेत चरे, संत रहे हरषाय हो ।। 1 ।। सबको...
जल पीवन पंछी दूर उड़े, संत ने दिवला टॅगया हो।
जहाँ खाओ वहाँ नीर पीवो, मन में मनाओ मौज हो ।। 2 ।। सबको...
आयो मालिक खेत को, करम को ठोके जाय हो।
गाँव पंच भेला हो भया, बोंदरु पर दोष लगाय हो ।। 3 ।। सबको...
पिछला बरस केतरो अनाज हुयो, वतरोज ऑव भी होय हो।
कम आव बोंदरु भरग, अब तुम फसल कटाओ हो ।। 4 ।। सबको...
फसल काटी अनाज दूणो हुयो, अचरज करे सब लोग हो। '
नवरंग' बोंदरु न नहीं हो लियो, गरीब न दिया लुटाय हो।। 5 ।। सबको...
0 टिप्पणियाँ