अरे संत बोंदरु हुयो रे ज्ञानी | संत बोंदरु बाबा के निमाड़ी भजन | Sant Bondaru Baba Ke Nimadi Bhajan

अरे संत बोंदरु हुयो रे ज्ञानी 


अरे संत बोंदरु हुयो रे ज्ञानी । जे न खुद ख लियो पहिचाणी ॥ टेक॥ 


आत्म चिन्तन निशदिन करता।-2                                                       

अरे जेन प्रभु की सुणी ली वाणी ॥ 1 ॥ जेन खुद... || 


जीव मात्र में हरि बिराजे ।-2 

अरे जेन नहीं सतायो कोई प्राणी ।। 2 ।। जेन खुद... ॥ 


गायो की नित सेवा करतो।-2 

चारो गोहया पर नाखी रहयो ज्ञानी ।। 3 ।। जेन खुद... ॥


साधु-संत की सेवा करतो।-2 

अरे वो भुख्या की कर मेजवानी ।। 4 ।। जेन खुद... । 


हरि हरि ऊ रोज गावतो।-2 

अरे वन नवरंग' लियो पहिचाणी॥ 5 ॥ जेन खुद... ||


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