साक्षात दर्शन
कुछ वर्ष पहिले की बात है, एक ही परिवार के दो पुरुष एवं दो महिलाएं नागझिरी में आए और बाजार में आकर लोगों से पूछा -संत बोंदरु बाबा की कुटिया कहां है? उस परिवार के लोगों की भाषा कुछ अलग थी, इसलिए लोगों ने अंदाजा लगाया कि ये समाधी को ही कुटिया कह रहे है । दगडूजी उस समय जीवित थे, वे भी वही थे, उन्होंने भी सुना, वे स्वयं उनकी साथ हो लिए- कि चलो मैं ले चलता हूं। जब वे वहां समाधी के पास पहुंचे तो समाधी देखकर कहने ।' लगे- नहीं वे तो जवान है और जीवित भी। और कुटिया बनाकर गाँव के पूर्व में गोहया पर रहते । है। तब दगडूजी ने उनसे पूछा- भाई! तुमको ऐसा बताया किसने ? तो उन सज्जनों ने बताया - स्वयं बोंदरु बाबा हमारे घर गये थे। हमारा एक छोटा सा बच्चा विशेष रुप से अधिक बिमार था। शायद पांच-दस मिनट ही उसकी जिंदगी के शेष थे, हम सब परिवार वाले हताश, निराश होकर शायद उसके देह छोड़ने का इंतजार ही कर रहे थे कि बाबा ने गली में आवाज लगाई-बच्चा ! कुछ साधु को मिल जाये । हमने दुखी मनसे उनको इंकार कर दिया, कहा-बाबा हमारे यहां एक छोटा बच्चा अत्यन्त बिमार है, दस पांच मिनट की उसकी जिंदगी है, ऐसी हालत में हम आपको क्या दे सकते है? बाबा ने जैसे ही सुना, वे घर के अंदर आगये बच्चे की खटिया पर बैठ गये, बच्चे पर से हाथ घुमाया और कहा- तुम्हारा बच्चा तो ठीक है, इसको तो कोई बिमारी है ही नहीं। और हुआ भी वैसा ही- पांच छः मिनट बाद बच्चा स्वयं खटिया से नीचे उतर कर खेलने लग गया। हमने बाबा के हाथ जोड़े और पूछा बाबा अब आप बताएँ ? हम आपको क्या दें ? बाबा मुस्कराये और बोले बच्चा अब तो हम आपके यहां से कुछ भी नहीं लेगें। हमने उनका नाम पता पूछा तो उन्होने ही बतलाया था कि मेरा नाम बोंदरु बाबा है, मैं खरगोन के पास नागझिरी गाँव में, गाँव के बाहर पूर्व दिशा में गोहया पर कुटिया बनाकर रहता हूं । दगडू दाजी बोले यही नागझिरी गॉव है इसकी पूर्व दिशा में यही गायों का गोहया है यही बाबा बोंदरु है जो लगभग ढाई सौ साल पहिले पच्चीस साल की उम्र में जीवित समाधी ले चुके है। तब उस परिवार के लोगों ने बाबा की समाधी पर बहुत हाथ जोड़े और माथा टिकाया। एक आदमी वापस गाँव में आया, नारियल, अगरबत्ती, एवं अन्य पूजा का सामान ले जाकर बोंदरू की पूजा अर्चना की। उन्ही लोगों ने तो होशंगाबाद जिले में अगरबत्ती एवं अन्य पूजा का सामान ले जाकर बाबा बोदरु की पूजा अर्चना की। बताया था कि उनके कोई रिश्तेदार खरगोन में रहते है। वहीं आये थे हम तो हो रहते है, हमने सोचा! यहां खरगोन आगये है तोचलों नागझिरी में बाबाजी से मिल आते है।
* जय संत बोंदरु बाबा *
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