संत के चमत्कार (राजा की मदद)
एक बार किसी मुगल सेनापति ने बड़वानी राज्य पर हमला बोल दिया। उनका उद्देश्य था बड़वानी रियासत का दिल्ली सल्तनत में विलय । राजा मोहनसिंह को जब यह खबर लगी तो वे घबराये और सोचने लगे कि मुगलों की सेना तो बहुत भारी होगी और हमारी सेना तो बहुत छोटी हैं, निश्चित ही हमारी हार होगी। सेनापति, सामन्त एवं महाराज गुप्त मंत्रणा कर ही रहे थे कि महारानी वहाँ आ गई और महाराज को सुनाकर कहने लगी-महाराज, आप कैसी बातें कर रहे हो, आप हारने के बारे में सोचते ही क्यों हों ? आपकी तो जीत निश्चित हैं। हमारे राज्य पर हमारे गुरु संत बोंदरु बाबा का आशीर्वाद है, हमारे गुरु ने कहा नहीं था कि “कोई मुसीबत आजाये तो मुझे याद करना और अपना क्षत्रिय धर्म का पालन भी करना” फिर आप क्यों घबरा रहे हैं। सेना सजाकर ले जाईये, युद्ध कीजिये, अवश्य हमारी जीत होगी। _ और हुआ भी वैसा ही, उत्साहित होकर जब राजा मोहनसिंह सेना लेकर युद्ध भुमि में पहुँचे तो उनके नगाड़ों की आवाज सुनकर मुगल सेना के हाथी एवं घोड़े पीछे मुड़कर भागने लगे। राजा मोहनसिंह की थोड़ी सी सेना हजार गुना होकर मुगल सेना को दिखाई देने लगी। मोहनसिंह के जांबाज सैनिकों का हमला मुगल सेना सहन नहीं कर सकी और सिर पर पैर रखकर, उल्टे पाँव भागने पर मजबूर हो गई। राजा मोहनसिंह व उनकी सेना सबने इसे संत बोंदरु बाबा का ही चमत्कार समझा और जीत का खुब जश्न मनाया।
* जय संत बोंदरु बाबा *
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