एक विचित्र अनुभव | Ek Vichitra Anubhav | Bondaru Baba Gaon Nagziri

 एक विचित्र अनुभव 

ग्राम नागझिरी निवासी श्री जगन्नाथ मण्डलोई शिक्षक बुधवार के दिन होने वाले = बोंदरु बाबा की समाधी पर के भजनों में जाते थे और भजन गाने वालों के पास बैठकर उस आनंद लिया करते थे। बात 27 अप्रेल 2005 बुधवार के दिन की ही है। उस दिन श्री दगड्दाजी का निर्वाण दिवस है। हुआ ऐसा कि भजन मण्डली के लोग बाबा की समाधी पर शाम के समय भजन गाने गये। जगन्नाथ मण्डलोईजी को आलस आ गया। वे उस रोज भजन सुनने नहीं गये। भजन गाने वालों ने भी उस दिन केवल पांच भजन ही गाये और वापस गांव में आ गये। थोड़ी देर में श्री दगडू दाजी का स्वर्ग गमन समाचार मिल गया। सभी भजन गाने वाले दाजी के घर चले गये। 47P.Aru और उसमें भजन मण्डली भजन गा रही है, करीब बारह बजे रात्री का समय होगा। ये अपने लखारिया बड़ के पास वाले चढ़ाव पर जाकर क्या देखते है कि समाधी के पास बिजली के बल्ब जल रहे है, अच्छा प्रकाश हो रहा है। स्पीकर बज रहा है, लोग मृदंग पर भजन गा रहे है । सब जानी पहिचानी आवाजें सुनाई दे रही है। परन्तु दिखाई कोई नहीं दे रहा । दस पन्द्रह मिनट रुके। एक-दो भजन सुने, परन्तु किसी को न देखकर मन में कुछ संशय उत्पन्न हो गया। - इसलिए वहीं से बोंदरु बाबा के हाथ जोड़े और कहा- बाबा तेरी माया तू ही जाने, में तायवापर बात हई तो उन्होने बताया कि हम तो शाम को ही पाँच भजन गाकर दस बजे के पहिल वापर आगये थे। और समाधी पर लगास्पीकर तो वैसे ही बन्द पड़ा है। 

* जय संत बोंदरु बाबा *

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