बाबा की समाधी के महन्त
जब संत बोंदरु बाबा ने गोगा नवमी वि. सम्वत् 1790 ई. सन् मान से 1733 ई में समाधी ली थी। तब बाबा के मामाजी श्री अमरसिंहजी गादीदार (महंत) बने थे। उनके बाद श्री नारायण महाराज गादीदार बने । तीसरे गादीदार श्री रुखडूजी बने, ये बहुत विद्वान थे, इन्हाने संत बोंदरु बाबा के हजारों भजन लिखे थे। इसके बाद भिकाजी महाराज गादी पर बैठे, कहते है इनकी आयु कम ही थी जल्दी ही स्वर्गवासी हो गये थे। लेकिन इनकी पत्नि अत्यंत विद्वान थी, उसने बहुत वर्षों तक गादी का काम सम्भाला था। इसके बाद एक बाड़ी निवासी को समाधी का महन्त बनाया गया। फिर नाना महाराज को गादी का वारिस बनाया। नानाजी के बाद उनका पुत्र नत्थु महाराज महंत बने । नत्थु महाराज की पत्नि ने भी बहुत दिनों तक गादी का काम संभालाथा फिर पुत्र पंढरीमहाराज के समझदार होने पर उन्होंने गादी का काम सम्भाला, श्री पंढरी महाराज की आयु इस समय 80-90 वर्ष थी। इसलिये सन् 2011 से श्री पंढरी महाराज के बड़े पुत्र श्रीजगन महाराज को समाधी का पुजारी (गादीदार) नियुक्त किया है।
* जय संत बोंदरु बाबा *
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